यात्रा की सफलता के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
संपत्ति की प्राप्ति के लिए
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि। सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
किसी भी संकट को दूर करने के लिए
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।
मुकदमा जीतने के लिए
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
परस्पर प्रेम बढ़ाने के लिए
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥
शीघ्र विवाह के लिए
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह। साज सँवारि कै।।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि लई हंकारि कै।।
रोजगार पाने के लिए
विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥
परीक्षा में सफलता के लिए
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
पुत्र प्राप्ति के लिए
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बाल चरित कर गान।।
आलस्य से मुक्ति पाने के लिए
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।
सभी मनोरथ को पूरा करने के लिए
भव भेषज रघुनाथ जसु,सुनहि जे नर अरू नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसिरारि
जीवन में है समस्या तो पढे़ंं ये चौपाइयां ...