मर्यादाओं का उल्लंघन करती सियासत खो रही लोकप्रियता


इंदौर। जिसके पास वाणी की मर्यादा न हो और बोलने का भान न हो उसे परेशानी से भगवान भी नहीं बचा सकते। वाणी ही है जो अपनों को भी दूर करा देती है। यही हाल कांग्रेस के कथित कर्णधार राहुल गांधी का है। उन्हें यह भी पता नहीं कि प्रधानमंत्री के बारे में बोलने के लिए किस मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए। चुनाव प्रचार के दौरान वे अक्सर सभी मर्यादाओं को भूलकर ओछे शब्दों का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। यही उनकी नासमझी है। अभी उन्होंने हरियाणा की एक चुनावी सभा में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अंबानी के लाउडस्पीकर हैं। दिनभर उन्हीं का नाम लेते रहते हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान चौकीदार चोर है का नारा दे दिया और जनता ने बता दिया कि मोदी क्या है। इसी तरह राफेल मामले में भी मोदी को चोर कहने पर राहुल को कोर्ट तक में माफी मांगनी पड़ी।
ओछी बातों के अलावा कांग्रेस के पास लंबे समय से कोई मुद्दा ही नहीं है, जिसे उठाकर वे जनता के बीच जा सकें।
जैसा आरोप राहुल लगाते हैं कि अंबानी को मादी मदद करते हैं तो सवाल यह है कि क्या मोदी ने उन्हें कोई गैरकानूनी मदद की है। यदि की है तो इतनी बड़ी कांग्रेस अभी तक ऐसा कोई सबूत क्यों नहीं जुटा पाई? अंबानी ने इस देश में संचार क्रांति लाने का काम किया है। जब संचार और मोबाइल क्रांति के नाम पर कई बड़ी कंपनियां लोगों को बेवकूफ बनाकर लूटने पर आमादा थी तब अंबानी ने फ्री में नेट देकर और कॉलिंग देकर उन्हें धूल चटा दी थी। आज हर हाथ में इंटरनेट वाले मोबाइल हैं तो यह अंबानी की ही देन है। अंबानी कोई अपराधी नहीं। हां कांग्रेस अवश्य अपराधियों का साथ दे रही है। वित्त मंत्रालय सहित कई महत्वपूर्ण विभागों के  मंत्री रहे कांग्रेस ने नेता पी. चिदम्बरम इस देश के अरबों-खरबों का चूना लगाकर संभ्रांत बने बैठे थे। उन्हें जब हवालात जाना पड़ा तो पूरी कांग्रेस का पेट दुखने लगा। शर्मनाक तो यह है कि पूर्व वित्त मंत्री के बड़े-बड़े आर्थिक घोटाले सामने आने के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक उनसे मिलने हवालात पहुुंच गईं और उन्हें मदद का भरोसा दिलाया। जनता सब जानती है कि चोरों के सरदार कौन हैं? फिर भी अभी कांग्रेस में कुछ ईमानदार नेता बचे हैं लेकिन उन्हें पीछे धकेल दिया गया है। कांग्रेस के ही नेता मनिंदरसिंह बिट्टा का ही कहना है कि चिंदबरम जैसे लोग बड़े-बड़े घोटाले कर देश को खोखला बना रहे थे और उन पर कोई ऊंगली उठाए तो ये लोग काला कोट पहनकर कोर्ट में खड़े हो जाते हैं। कांग्रेस ने सदैव सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग किया है, नेहरूजी के खानदान के लोगों की सुरक्षा और रोटी का खर्चा अभी तक यह देश उठा रहा है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी की सगी भतीजी का दिल्ली में रिक्शे से उतरते समय एक बदमाश पर्स छीनकर भाग जाता है। जबकि कांग्रेस का कोई छोटा-मोटा मंत्री भी होता तो उसके पूरे खानदान के लिए सरकारी वाहन और गनमैन तैनात हो जाते। आखिर राहुल कब तक खुद को धोखा देते रहेंगे। उनमें कब समझदारी आएगी? कम के कम बोलने का सही लहजा तो सीख लें। अपने नेता से ही प्रेरणा लेकर एक विधायक ने तो देश को भी ताक में रख दिया और पिछले दिनों पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा दिए।
इधर प्रदेश में बड़ी मुश्किल से कांग्रेस को फिर से सत्ता मिली है लेकिन सही केंद्रीय नेतृत्व के अभाव में मुख्यमंत्री कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय सिंह अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं। आखिर कांग्रेस के ये नेता प्रदेश की जनता को क्या संदेश दे रहे हैं। सत्ता हाथ से निकल जाने के बाद संभवत: समीक्षा बैठक में इन्हें समा में आएगा। सीएम कमलनाथ सोमवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से आशीर्वाद लेने उनके झोतेश्वर आश्रम में पहुंचे। वहां 15 मिनट बंद कमरे में मुलाकात की, लेकिन गुरु कहने के बावजूद शांकर परंपराओं का ध्यान नहीं रखते। यदि वे अपने गुरु के संदेशों को अपना लें तो कल्याण हो सकता है। लेकिन पिछले माह कमलनाथ शंकराचार्यजी के प्रतिनिधि और निज सचिव स्वामी सुबुद्धानंदजी महाराज की तरफ जूते पहने पांव करके बैठ गए थे, जिसकी काफी आलोचना हुई थी। शांकर परंपरा का सीएम कितना ख्याल रखते हैं, यह इसी बात से साफ हो जाती है। प्रात: स्मरणीय शंकराचार्य सनातन धर्म के सर्वोच्च आचार्य हैं, उनके लिए सभी बराबर हैं, मोदी भी उनके लिए पुत्र के समान हैं, मोदी ने भी कभी शंकराचार्यजी की आलोचना नहीं की और न ही उनके शब्दों में संतों के प्रति अवमानना के भाव प्रकट हुए। वहीं कुछ लोग सियासत में जमूरे की तरह इस्तेमाल होने वाले कुछ ढोंगी बाबाओं और स्तरहीन साधुओं को साधे हुए हैं, यह कहां तक उचित है? कुछ मिलाकर जब सेनानायक ही कमजोर और नासमझ हो तो फिर उस सेना की जीत की उम्मीद कैसे की जा सकती है?