इन्दौर। कोविड-19 के चलते आज भी हमारे शहर में हजारों परिवार इस समय दुख भरी घडीयों के बीच से गुजर कर लगातार सघर्ष कर रहे हैं। इन मुश्किलों के बीच देखने मे आ रहा है कोई दवा गोली के लिए परेशान है तो कोई इन्जेक्शन के लिए इस विकट परिस्थितियों मे भी मदद के लिए हमारे शहर की कुछ महिलाएं हैं। उन से जो भी बन सक रहा है वह लगातार किसी की मदद कर रही हैं।
इस ग्रुप की बीस महिलाओं ने ये ठान लिया है कि इस समय हमें उन की मदद करना है जिसका कोई नही है। उस के लिए एक ग्रुप बनाया गया है जो गरीब की मदद करेंगे। उन्हें किसी की भी दुखभरी सूचना मिलती है तो वो तुरन्त उस के घर तक जाकर जो भी हो सकता है उसकी मदद कर रही हैं। इन महिलाओं का जज्बा देख कर कोई सोच भी नही सकता है। ये महिलाएं उन दुखी अनजान लोगो के लिए किसी भी सगे खून के रिस्ते से ज्यादा काम कर रही हैं। बीमार उस व्यक्ति के घर परिवार में खाने से लेकर कच्चा राशन दवा गोली अन्य जरूरत के सामान तक की मदद करती आ रही हैं। वहीं देखने में आ रहा है इस समय परिजनों मे किसी की गमी होने पर शमशान तक जाना भी उचित नही है। ऐसे मे ये महिलाएं एक सूचना मिलने पर शमसान घाट में जाकर एक बेसहारा बच्चे की मौत के बाद उस के लिए शमशानघाट पर खडी़ होकर भी पूरा फर्ज निभा रही हैं।
हम बात कर रहे है न्यू पलासिया स्थित साक्षी महिला सेवा ग्रुप की। इस ग्रुप से जुडी़ महिलाएं जो लगातार इंसानियत और मानवता के बीच हौसलों से भरी हुई हैं। इन महिलाओं को किसी भी मजबूर या बीमार दुखी भूखे व्यक्ति की खबर फोन पर या किसी अपनों से सुनती है तो तुरन्त ही आपस मे बात कर के उस की मदद का मन बना कर उस के घर तक मदद के लिए जाती हैं। उस गरीब व्यक्ति के घर पर जो भी हो मदद हो पाती है उसे तुरन्त ही करने से पिछे भी नही हटती हैं। ऐसे ही एक सूचना इन की जानकारी में आयी इन्दौर में रहने वाले गरीब परिवार का 28 साल का लड़का योगेश पिता भगवान था जो कि जन्म से ही विकलांग था। अचानक इनका स्वास्थ खराब होने से उस की मृत्यु हो गई। परिवार की अर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उस के अन्तिम खर्चे के लिए कुछ भी उन के पास नही था इस की जानकारी साक्षी ग्रुप की अध्यक्ष सीमा सेन व उनके मेंबर्स को जब लगी तो ये मृतक योगेश के घर जाकर देखा, मृतक का एक छोटा भाई ही बचा था। जिसके सामने अपने भाई के अन्तिम क्रिया के लिए सिर्फ आँखो में आंसू के अलवा कुछ भी नही था। उस मासूम को तो ये भी पता नही था की भाई को मुक्तीधाम केसे ले जाऊं। वहां ले जाए बाद में भी पैसै लगेंगे, उस मासूम की पीडा़ को समझते हुए सीमा सेन ने उस मासूम के सर पर हाथ रख कर उसेके आसूओं को अपने हाथो से पोछ कर उसे हिम्मत रखने की बात कही और घर से लेकर मालवा मिल मुक्तीधाम धाम तक जाकर उसका अंतिम संस्कार करवाया, जो भी रूपये लगे उन्होने खुद खर्चा कर हाथ जोड़ कर भगवान से इस दिवंगत विकलांग की आत्मा को शान्ति प्रदान करने की पूरे साक्षी महिला ग्रुप की ओर से उसे अश्रुपूरित श्रद्धांजलि भी दी।