मॉस्को। तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरे की आशंका के बीच रूस ने 8 से 12 साल तक के बच्चों के लिए अपनी कोरोना रोधी वैक्सीन स्पूतनिक-वी के नैजल स्प्रे का परीक्षण शुरू कर दिया है। इससे बच्चों की नाक में दवा का स्प्रे कर उन्हें डोज दिया जाएगा।
रूस के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि बच्चों के लिए वह अपनी कोविड-19 रोधी वैक्सीन का नैजल स्प्रे तैयार कर रहा है। यह 15 सितंबर तक तैयार हो जाएगा। टीएएसएस समाचार एजेंसी ने बताया कि गिंट्सबर्ग ने कहा कि बच्चों के लिए स्प्रे में एक ही वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है 'केवल सुई के बजाय, एक नोजल लगाया जाता है'।
इस नैजल स्प्रे का परीक्षण कर रही टीम ने 8 से 12 साल के बच्चों के बीच इसका परीक्षण किया और उसका उनमें कोई दुष्प्रभाव नहीं पाया। इसके बच्चों के शरीर के तापमान में भी बढ़ोतरी नहीं देखी गई। गिंट्सबर्ग ने कहा कि हम हमारी वैक्सीन को नाक के जरिए इन छोटे रोगियों को दे रहे हैं। हालांकि परीक्षण में कितने बच्चों को शामिल किया गया, इस बारे में उन्होंने कोई ज्यादा जानकारी नहीं दी।
बता दें, गमलेया सेंटर ने स्पूतनिक-वी का विकास किया है। यह कोरोना के खिलाफ विश्व की पहली वैक्सीन के रूप में रजिस्टर्ड है। इसे रूसी संस्थान ने अगस्त 2020 में ही तैयार कर लिया था। इसके बाद बाद इसी संस्थान ने स्पूतनिक-वी की एकल खुराक वाली वैक्सीन भी तैयार की है।
बता दें, भारत में भी कोरोना वैक्सीन के विकल्प के रूप में एक नैजल स्प्रे पर शोध चल रहा है। इसी तरह हैदराबाद की भारत बायोटेक ने नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन बीबीवी 154 का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है।
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