बता दें, कल्याण सिंह को बीते 4 जुलाई को एसजीपीजीआई लखनऊ में भर्ती कराया गया था। तब से बीजेपी नेता पीजीआई जाकर उनका हालचाल ले रहे हैं। पिछले महीने एक समय था जब कल्याण सिंह की तबीयत में तेजी से सुधार हो रहा था। वह लोगों से बात भी करता था। लेकिन फिर उनकी तबीयत फिर से बिगड़ गई और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी। कल्याण सिंह उस परेशानी से अंत तक उबर नहीं पाए और उन्होंने 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
राम मंदिर आंदोलन में सक्रियता
यह कहना कि कल्याण सिंह के राजनीतिक जीवन में कई विरोधी थे, कई लोगों को उनकी विचारधारा पसंद नहीं आई, लेकिन फिर भी उन्हें एक अनुभवी नेता का टैग दिया गया। राम मंदिर आंदोलन में उनकी सक्रियता ऐसी थी कि उन्हें अपनी सीएम की कुर्सी तक का त्याग करना पड़ा। ऐसे में कल्याण सिंह के योगदान को इतिहास हमेशा याद रखेगा। कोई उसकी आलोचना करेगा और कोई उसे मसीहा कहेगा। लेकिन सभी को याद होगा क्योंकि वह भारतीय राजनीति का अहम हिस्सा बने रहे।
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