कोर्ट ने जदयू, राजद, लोजपा, कांग्रेस, बीजेपी, भाकपा पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा सीपीएम और एनसीपी पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
भविष्य के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राजनीतिक दल उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड अपनी वेबसाइट पर डालें। चुनाव आयोग को एक ऐप बनाना चाहिए, जहां मतदाता ऐसी जानकारी देख सकें। इसके साथ ही पार्टी को उम्मीदवार के चयन के 48 घंटे के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में प्रकाशित करना चाहिए। आदेश का पालन न करने की स्थिति में आयोग को सर्वोच्च न्यायालय को सूचित करना चाहिए।
सांसद/विधायकों के मामले आसानी से वापस नहीं ले पाएगी राज्य सरकारें
राज्य सरकारें अब जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को मनमाने ढंग से वापस नहीं ले सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश दिया कि कोई भी राज्य सरकार उच्च न्यायालय की मंजूरी के बिना वर्तमान या पूर्व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामले वापस नहीं ले सकती है। अदालत ने यह आदेश सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के शीघ्र निपटान से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
2016 से लंबित इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से सभी लंबित मामलों का ब्योरा मांगा था। साथ ही केंद्र सरकार से प्रत्येक राज्य में विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट स्थापित करने के लिए फंड जारी करने को कहा। इससे पहले इस मामले की सुनवाई पिछले साल अक्टूबर में हुई थी। तब से, केंद्र ने अदालत के सवालों का विस्तृत जवाब दाखिल नहीं किया है। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ ने इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया।
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