खंडवा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डीएस चौहान का कहना है कि इनमें से एक बच्चे को निमोनिया और दूसरे को पीलिया था। हमारी टीम ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। वहां से उसे इलाज के लिए इंदौर भेजा गया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। चौहान ने बताया कि उक्त गांव के लोगों में अंधविश्वास व्याप्त है। ग्रामीणों ने स्थानीय डॉक्टरों से सलाह ली, जिन्होंने उचित सलाह नहीं दी।
सीएमएचओ चौहान का कहना है कि ग्रामीणों से कहा गया है कि अंधविश्वास के झांसे में न आएं और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसलिए जिले के डॉक्टरों से सलाह लें। लोगों में अंधविश्वास के कारण दो बच्चों की जान चली गई।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में बीमार बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया। गांव के बच्चों में गले में सूजन, टॉन्सिल, उल्टी-दस्त, बुखार की शिकायत मिली है। दो बच्चों की मौत के बाद विभाग सतर्क हो गया है। बच्चों का इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम के माध्यम से अन्य बच्चों की जानकारी जुटाई जा रही है।
बच्चों की मौत से दहशत
गांव में तेज बुखार व गले में संक्रमण से बच्चों की मौत से दहशत का माहौल है। मरने वाले दो बच्चों के नाम अजय के बेटे मुकेश पाटिल (9) और अभिषेक के बेटे अशोक (11) हैं। उसके गले में सूजन के साथ-साथ खाने-पीने में भी परेशानी हो रही थी। तेज बुखार भी था।
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