सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह इसे पब्लिसिटी स्टंट नहीं कह रहे हैं, लेकिन बच्चों को इसमें हिस्सा नहीं लेना चाहि। आपको अपने मुवक्किल को संवैधानिक उपायों को अपनाने के बजाय अध्ययन करने की सलाह देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारें बच्चों के स्कूल जाने की आवश्यकता के प्रति जवाबदेह और जागरूक हैं। हम उन्हें स्कूल भेजने के लिए न्यायिक फरमान नहीं मांग सकते। वह भी तब जबकि तीसरी लहर को रोकने के लिए टीकाकरण चल रहा है।
कोर्ट इस मुद्दे पर निर्देश जारी नहीं कर सकती
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि ये ऐसे मुद्दे हैं जहां अदालतों को सामान्य निर्देश जारी करने चाहिए। शासन की जटिलता एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अदालत निर्देश जारी नहीं कर सकती है।" एडवोकेट आरपी मेहरोत्रा ने अदालत में दलील दी कि यह याचिका प्रचार के लिए नहीं बनाई गई थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले को खारिज कर दिया और कहा कि आइए इसे नागरिकों द्वारा अपनाई गई लोकतांत्रिक जीवन शैली पर छोड़ दें। कहां-कहां मामले बढ़े हैं और क्या स्थिति है, इसकी जांच करने के लिए कॉल करें और स्थानीय अधिकारी।आप विश्वगुरु का ताजा अंक नहीं पढ़ पाए हैं तो यहां क्लिक करें
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