पूरे उद्योग पर लागू होगा नियम
रिपोर्ट के मुताबिक, नए नियम के आने के बाद पूरा भारतीय मोबाइल उद्योग सवालों के घेरे में आ जाएगा, हालांकि चीनी कंपनियों की सख्ती से जांच की जाएगी। सरकार फोन में पहले से इंस्टॉल आने वाले ऐप्स के सोर्स कोड की मांग कर सकती है। नए नियम के आने के बाद जिन कंपनियों के पार्ट मोबाइल में इस्तेमाल हो रहे हैं, उनकी सूची भी मोबाइल निर्माताओं से मांगी जा सकती है। कुल मिलाकर सरकार भारत में लॉन्च होने वाले सभी स्मार्टफोन्स के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की जांच करना चाहती है।
वीवो, ओप्पो, श्याओमी शीर्ष पर हैं
भारतीय स्मार्टफोन बाजार में वीवो, ओप्पो, श्याओमी और वनप्लस की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। ऐसे में नए नियम के लागू होने के बाद इन कंपनियों की सख्ती से जांच की जाएगी। जांच के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि भारत में बिकने वाले स्मार्टफोन भारतीय यूजर्स के लिए सुरक्षित हैं या नहीं। इस रिपोर्ट पर अभी तक सरकार या चीनी मोबाइल कंपनियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पहले से इंस्टॉल ऐप से जासूसी का खतरा
हाल ही में डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज में हुए शोध में कहा गया है कि सभी कंपनियों के फोन में पहले से इंस्टॉल ऐप यूजर्स के डेटा को गुप्त रूप से अपने सर्वर पर स्टोर कर रहे हैं। ये ऐप स्क्रीन, वेब एक्टिविटी, फोन कॉल्स, डिवाइस आइडेंटिफायर जैसी जानकारी स्टोर करते हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए Samsung, Xiaomi, Huawei और Realme, LineageOS और e/OS से भेजे गए डेटा का इस्तेमाल किया गया है। जिन ऐप्स पर जासूसी करने का आरोप है, उनमें Google, Facebook और Microsoft Apps के नाम शामिल हैं। इस रिपोर्ट को 'Android Mobile OS Snooping by Samsung, Xiaomi, Huawei and Reality Head Set' नाम से पब्लिश किया गया है।
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