सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कानून का पालन नहीं किया गया तो वह भविष्य में चुनाव रद्द भी कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा को हाईकोर्ट में अपनी सारी दलीलें पेश करने को कहा। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को करेगा।
हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई से किया इनकार
गौरतलब है कि एक दिन पहले गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस को अर्जी दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट अब कल 17 दिसंबर को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एक और अहम टिप्पणी की है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि मध्य प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस याचिका के अधीन होंगे।
पंचायत चुनाव की वैधता को चुनौती
भोपाल के मनमोहन नायर और गडरवाड़ा के संदीप पटेल समेत पांच अन्य याचिकाकर्ताओं ने तीन चरणों में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की वैधता को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर से चुनाव कराने को लेकर अध्यादेश पारित किया है, जो असंवैधानिक है।
महाराष्ट्र उदाहरण
इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील हिमांशु मिश्रा ने कहा कि जिस तरह महाराष्ट्र में आरक्षण संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं हो रहा है, उसी तरह हाईकोर्ट ने अधिसूचना रद्द कर दोबारा अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के संबंध में भी आदेश जारी किए जा सकते हैं। मध्य प्रदेश में भी आरक्षण और रोटेशन का पालन नहीं किया गया, जो संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। अब 3 जनवरी को उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी कि मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की अधिसूचना रद्द कर कानूनी प्रावधानों का पालन करते हुए नई अधिसूचना जारी की जाए।
ओबीसी आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
उधर, राज्य में ओबीसी आरक्षण के मामले को हाईकोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया था। दरअसल, सुनवाई में सभी पक्षों के वकील कोर्ट में मौजूद नहीं थे। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सुनवाई को लंबे समय के लिए टाल दिया।
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