दरअसल सरकार ने कपड़ों पर जीएसटी को 5 से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया है। इसका व्यापारी विरोध कर रहे हैं। इस संबंध में कुछ दिन पहले प्रदेश के व्यापारियों की बैठक हुई थी। इसमें विरोध की रूपरेखा तय की गई। इसके बाद से विरोध प्रदर्शन हो रहा है और मांग की जा रही है कि जीएसटी 5 फीसदी होना चाहिए। कहा गया है कि मांग पूरी नहीं होने तक धरना जारी रहेगा। विरोध की इसी कड़ी में गुरुवार को कपड़ा बाजार के व्यापारियों ने दुकानें बंद कर अपना विरोध दर्ज कराया। शहर में कपड़ा बाजार, सीतलमाता बाजार, नलियाबाखल, संथा बाजार आदि स्थानों पर स्थित रेडीमेड कपड़ों की दुकानें बंद रहीं। कुछ व्यापारियों ने अपनी कपड़ों की दुकानों के सामने सब्जियों और पोहा-भजिया के स्टॉल लगाकर विरोध किया। प्रदर्शन कर रहे व्यापारियों के बीच पहुंचे विधायक संजय शुक्ला। उन्होंने व्यापारियों से पोहा-भजिया खरीदा।
रतलाम में करीब एक हजार दुकानें बंद रहीं
इंदौर के साथ अन्य जगहों पर भी कपड़ा बाजार बंद रहा। रतलाम में करीब एक हजार कपड़ा दुकानें बंद रहीं। फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल्स एसोसिएशन के आह्वान पर रतलाम के व्यापारियों ने पूरे दिन का बंद रखा। रतलाम कपड़ा संघ के सचिव रवि दख ने बताया कि अब तक कपड़ों पर जीएसटी 5 फीसदी था। राष्ट्रहित को देखते हुए इसका कभी विरोध नहीं किया गया, लेकिन सरकार ने अचानक इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया।
कपड़ा व्यापारियों ने कहा कि करीब दो साल के कोरोना काल में व्यापारियों की आर्थिक स्थिति पहले ही काफी प्रभावित हो चुकी है। लॉकडाउन में पूरा कारोबार ठप हो गया। यहां तक कि विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रम भी बड़ी संख्या में नहीं होते थे। ऐसे में सबसे ज्यादा असर कपड़ा बाजार पर पड़ा। इसके बाद भी बिना किसी चर्चा के जीएसटी को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया। इसके विरोध में पिछले हफ्ते दो बार ब्लैक आउट किया गया। इसके बाद भी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। इसलिए पूरे कारोबार को एक दिन के लिए बंद रखने का निर्णय लिया गया।
इंदौर के साथ अन्य जगहों पर भी कपड़ा बाजार बंद रहा। रतलाम में करीब एक हजार कपड़ा दुकानें बंद रहीं। फेडरेशन ऑफ सूरत टेक्सटाइल्स एसोसिएशन के आह्वान पर रतलाम के व्यापारियों ने पूरे दिन का बंद रखा। रतलाम कपड़ा संघ के सचिव रवि दख ने बताया कि अब तक कपड़ों पर जीएसटी 5 फीसदी था। राष्ट्रहित को देखते हुए इसका कभी विरोध नहीं किया गया, लेकिन सरकार ने अचानक इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया।
कपड़ा व्यापारियों ने कहा कि करीब दो साल के कोरोना काल में व्यापारियों की आर्थिक स्थिति पहले ही काफी प्रभावित हो चुकी है। लॉकडाउन में पूरा कारोबार ठप हो गया। यहां तक कि विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रम भी बड़ी संख्या में नहीं होते थे। ऐसे में सबसे ज्यादा असर कपड़ा बाजार पर पड़ा। इसके बाद भी बिना किसी चर्चा के जीएसटी को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया। इसके विरोध में पिछले हफ्ते दो बार ब्लैक आउट किया गया। इसके बाद भी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। इसलिए पूरे कारोबार को एक दिन के लिए बंद रखने का निर्णय लिया गया।
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