दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को एमपी कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई की तारीख सोमवार, 13 दिसंबर तय की है। साथ ही ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई की। महाराष्ट्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के पंचायत चुनाव में रोटेशन का पालन न करने की याचिका पर एक साथ सुनवाई होगी। आज इस याचिका की पैरवी सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर ने की।
हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
दरअसल, 9 नवंबर 2021 को जबलपुर हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव से जुड़ी तमाम याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इसमें आरक्षण और परिसीमन का मामला भी शामिल था। मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 40 मिनट की लंबी बहस के बाद, न्यायमूर्ति रोहित आर्य की अध्यक्षता वाली ग्वालियर पीठ द्वारा अंतरिम राहत आवेदन को खारिज करने के बिंदु को ध्यान में रखते हुए मांग को खारिज कर दिया। भूतकाल। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
जल्द मिलेगा संवैधानिक जवाब- कांग्रेस
इसके बाद कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी। सुनवाई शनिवार को होगी। इसके तहत राज्य की भाजपा सरकार द्वारा 2019 के परिसीमन और आरक्षण को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई है। दो साल से पंचायत चुनाव की तैयारी कर रही उम्मीदवारों की उम्मीद और अधिकार छीन रही भाजपा सरकार को जल्द ही संवैधानिक जवाब मिलेगा। मध्य प्रदेश के लाखों पंचायत प्रतिनिधियों को संवैधानिक अधिकार देगा सुप्रीम कोर्ट।
यह है पूरा मामला
मप्र सरकार ने पंचायत चुनाव का आरक्षण 2019-20 में तय किया है और इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। वहीं, सरकार ने इस पुराने नोटिफिकेशन को रद्द किए बिना एक अध्यादेश के जरिए नई अधिसूचना जारी कर दी। इसके अलावा राज्य सरकार ने 2014 के आरक्षण रोस्टर के आधार पर आगामी पंचायत चुनाव नवंबर 2021 में कराने की घोषणा की है। याचिका में कमलनाथ सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए परिसीमन और आचरण को निरस्त करने की मांग की गई है। 2014 की स्थिति में लागू परिसीमन और आरक्षण के आधार पर चुनाव।
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