दरअसल, सिटीजन कंज्यूमर मार्ग दर्शन मंच ने महापौर का चुनाव जनता के माध्यम से कराने की मांग की थी। हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया। हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। इस दौरान राज्य सरकार ने सितंबर 2020 में डायरेक्ट सिस्टम से महापौर के चुनाव को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था। अधिसूचना के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
परिस्थितियों में बदलाव के बाद याचिकाकर्ता से पारित आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए युगल पीठ ने याचिकाकर्ता को अधिसूचना जारी नहीं होने की स्थिति में नई याचिका दायर करने की सलाह दी।
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