नहीं रहे रतन टाटा, मुंबई के अस्पताल में हुआ निधन, पूरे देश में शोक
इंदौर।
टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और देश के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा का बुधवार, 9 अक्टूबर को निधन हो गया। 86 वर्ष के रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को विश्वस्तर पर एक महत्वपूर्ण पहचान दिलाई थी। टाटा समूह के साथ उनके दशकों लंबे जुड़ाव ने भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित किया। उनके निधन से न सिर्फ उद्योग जगत, बल्कि पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके जीवन के दौरान किए गए कार्य और उनकी विनम्रता ने उन्हें हर दिल अजीज बना दिया था। 

ब्लड प्रेशर में गिरावट के बाद अस्पताल में भर्ती
रतन टाटा को अचानक से स्वास्थ्य में गिरावट आने के बाद 7 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों के मुताबिक, उनकी ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट आई थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता पड़ी। शुरुआत में उन्हें सामान्य वार्ड में रखा गया था, लेकिन जब उनकी हालत और गंभीर हो गई, तो उन्हें गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में शिफ्ट कर दिया गया। वहां, तमाम प्रयासों के बावजूद, उनका स्वास्थ्य स्थिर नहीं हो पाया, और अंततः 9 अक्टूबर को उनका निधन हो गया। 

दो दिन पहले सोशल मीडिया पोस्ट में दी थी जानकारी
7 अक्टूबर को रतन टाटा ने अपने स्वास्थ्य को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया था। इस पोस्ट में उन्होंने उन अफवाहों का खंडन किया, जिसमें उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई जा रही थी। उन्होंने लिखा था कि उनकी तबीयत ठीक है और वे केवल उम्र से संबंधित नियमित चिकित्सा जांच करवा रहे हैं। उनके इस संदेश के बाद उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों को थोड़ी राहत मिली थी। उन्होंने इस पोस्ट के माध्यम से लोगों को बेवजह चिंता करने से भी मना किया था, यह बताते हुए कि ऐसी खबरों से भ्रमित न हों। 

क्या लिखा था रतन टाटा ने आखिरी पोस्ट में?
रतन टाटा ने अपने अंतिम सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था, "मैं अपनी उम्र से संबंधित चिकित्सा स्थितियों की वजह से जांच करवा रहा हूं, और इसमें कोई चिंता की बात नहीं है। मैं पूरी तरह ठीक हूं और अच्छे मूड में हूं।" उन्होंने अपने फॉलोअर्स से अपील की थी कि वे उनकी तबीयत को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान न दें और गलत जानकारी फैलाने से बचें। यह पोस्ट उनकी सहजता और सकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतीक था, जिससे उनके चाहने वालों में उनके प्रति आदर और बढ़ गया था।

टाटा ग्रुप के विकास में महत्वपूर्ण योगदान
रतन टाटा का टाटा समूह के साथ सफर 1991 में शुरू हुआ जब उन्होंने टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभाला। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न सिर्फ भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 1996 में टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की, जिससे कंपनी ने दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखा। इसके अलावा, उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए कई सुधार और बदलाव किए, जिससे यह कंपनी देश की सबसे बड़ी और सबसे सम्मानित कॉर्पोरेट संस्थानों में से एक बन गई। 

टाटा समूह को बनाया वैश्विक पावरहाउस
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिससे टाटा समूह को एक घरेलू कंपनी से एक वैश्विक व्यापारिक दिग्गज में तब्दील करने में मदद मिली। इसके अलावा, उनके कार्यकाल में टाटा समूह का व्यापारिक मूल्य 100 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया, जो उनकी दूरदर्शी सोच और प्रभावशाली नेतृत्व का प्रमाण था। 2012 में उनके रिटायरमेंट के बाद भी टाटा समूह उनके द्वारा बनाए गए मार्गदर्शन पर आगे बढ़ रहा है। 

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