पुष्कर-अजमेर: भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम लेकर पहुंचा पत्रकारों का कारवां
स्टेट प्रेस क्लब के पत्रकारों ने दिए एकता के संदेश

इंदौर भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब, सहिष्णुता और भाईचारे को सलाम करते हुए मध्य प्रदेश के पत्रकारों का एक दल, स्टेट प्रेस क्लब के बैनर तले, पुष्कर और अजमेर के पावन स्थलों की यात्रा पर निकला। दो दिवसीय इस यात्रा का उद्देश्य न केवल धार्मिक स्थलों का दर्शन था, बल्कि समाज में एकता और सौहार्द्र का संदेश भी फैलाना था।
पहले दिन, दल ने ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के दर्शन किए। मंदिर के पावन वातावरण में पत्रकारों ने ईश्वर से देश में शांति और तरक्की की प्रार्थना की। इसके बाद, उन्होंने पुष्कर के सुरम्य घाटों और रेगिस्तान की सफारी का आनंद लिया।
यात्रा के दूसरे दिन पत्रकारों का दल अजमेर पहुंचा। अजमेर की धरोहर और शिक्षा के प्रतीक मेयो कॉलेज का भ्रमण कर सभी ने यहां की ऐतिहासिक विरासत से परिचय प्राप्त किया। इसके बाद, साध्वी अनादि सरस्वती के आश्रम में साध्वी जी से संवाद हुआ। साध्वी अनादि सरस्वती ने अपने उद्बोधन में समाज में सकारात्मक पत्रकारिता और धर्मनिरपेक्षता के महत्व को रेखांकित किया।
शाम होते ही, पत्रकारों का दल ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर पहुंचा। जैसे ही कारवां ने बुलंद दरवाज़ा पार किया, दरगाह के खादिमों ने पुष्पवर्षा कर सभी का भव्य स्वागत किया। दरगाह के भीतर सूफ़ी कव्वालों की सुरमयी आवाज़ों के बीच पत्रकारों ने मुल्क में अमन-चैन और भाईचारे की दुआ मांगी।

इस मौके पर स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने कहा, "भारत की विविधता में जो एकता है, वह हमारी असली ताकत है। हमारी यात्रा का मकसद इसी ताकत को और मजबूत करना है।" दरगाह में पत्रकारों को सम्मान स्वरूप साफे बांधे गए और महिला पत्रकारों का विशेष सम्मान किया गया।
दरगाह के खादिम सैय्यद मुनव्वर चिश्ती और जयपुर के यूसुफ अली टांक ने इस पहल की सराहना की। स्टेट प्रेस क्लब ने दरगाह के खादिमों और अजमेर के पत्रकारों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद नजीर कादरी को विशेष सम्मान देते हुए प्रवीण खारीवाल ने कहा कि यह यात्रा पत्रकारिता के दायरे से परे मोहब्बत और इंसानियत का एक सफर है।
इस दो दिवसीय यात्रा ने पुष्कर के मंदिरों की घंटियों, दरगाह की अजानों और आश्रम के शांति मंत्रों को एक मंच पर लाकर भारत की साझा संस्कृति का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया। पत्रकारिता के इस कारवां ने भाईचारे का ऐसा संदेश दिया, जो लंबे समय तक दिलों में गूंजता रहेगा।

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