सुबह 7 बजे से ही इंदौर की सड़कों पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। इस विरोध प्रदर्शन में इतनी अधिक भीड़ थी कि उसका एक छोर लाल बाग से शुरू होकर कलेक्टर कार्यालय तक फैला हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर कार्यालय पर धरना देकर ज्ञापन सौंपा और मांग की कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय तुरंत हस्तक्षेप करें।
आरएसएस, भाजपा, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों ने इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारी की। पिछले एक सप्ताह में शहर के गली-मोहल्लों, कॉलोनियों और व्यापारिक संगठनों के साथ 5000 से अधिक बैठकें की गईं। इस तैयारी का परिणाम यह रहा कि यह प्रदर्शन इंदौर के इतिहास का सबसे बड़ा जनआंदोलन बन गया।
प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में कहा, "यह आंदोलन केवल इंदौर तक सीमित नहीं रहेगा। हमारी आवाज दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचेगी ताकि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोका जा सके।"
इस प्रदर्शन से पहले कांग्रेस ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में अपना प्रदर्शन किया था। लेकिन आरएसएस और भाजपा के इस आंदोलन की भीड़ और आयोजन ने इसे इंदौर का सबसे बड़ा प्रदर्शन बना दिया।
शहर के व्यापारिक संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने इस आंदोलन को पूरा समर्थन दिया। इंदौर के विभिन्न कोनों से लोग बड़ी संख्या में जुटे और प्रदर्शन को सफल बनाया। आंदोलन में शामिल साधु-संतों ने कहा, "यह हिंदू समाज की एकता और धर्म पर हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक है। हम इसे अंतिम परिणाम तक ले जाएंगे।"
इंदौर का यह प्रदर्शन देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
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