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कार्यक्रम का शुभारंभ संध्या 7 बजे भक्ति संगीत की मधुर स्वरलहरियों के साथ हुआ, जिसने समस्त वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। श्रीरामचरितमानस के इस महत्तम अध्याय - सुन्दरकाण्ड के गायन में जब श्रीराम के प्रति समर्पण, हनुमान जी की अडिग भक्ति और उनकी विलक्षण लीलाओं का वर्णन हुआ, तब उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
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आयोजक श्री जीतेंद्र सिंह देवड़ा ने बताया कि यह धार्मिक आयोजन पिछले नौ वर्षों से निरंतर श्रद्धा और सेवा के भाव से संपन्न होता आ रहा है। इसका उद्देश्य जनसामान्य में भक्ति, एकता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करना है।
सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में भाग लेकर बाबा की कृपा प्राप्त की और महाप्रसादी का लाभ लिया। आयोजन स्थल तक पहुँचने के लिए बिलावली तालाब का मुख्य द्वार मार्गदर्शक बिंदु के रूप में उपयोग में लाया गया।
इस अनुपम आयोजन ने यह सिद्ध किया कि जब भक्ति, संगीत और श्रद्धा एक साथ मिलते हैं, तो एक दिव्य अनुभूति का जन्म होता है—और वही अनुभूति 12 अप्रैल की संध्या को हर श्रद्धालु के हृदय में प्रतिध्वनित हुई।